24 July 2020

Pournima Raksha Bandhan 2020 Rakhhi - Rakhi Pournima, Rakhi, Saluno, Ujjwal Silono, Rakri


Raksha Bandhan 2020: रक्षाबंधन का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल सावन के आखिरी सोमवार (3 अगस्त) पर रक्षाबंधन का त्योहार पड़ रहा है। भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास होगा, क्योंकि इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, रक्षाबंधन पर ऐसा शुभ संयोग 29 साल बाद आया है। साथ ही इस साल भद्रा और ग्रहण का साया भी रक्षाबंधन पर नहीं पड़ रहा है।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। रक्षाबंधन का त्योहार सदियों से चला आ रहा है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं। हिंदूओं के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं इस साल रक्षाबंधन का त्योहार कब मनाया जाएगा और इस पर्व का मुहूर्त क्या रहेगा।


कब है रक्षाबंधन 2020?

Raksha Bandhan 2020 Date: रक्षाबंधन का त्योहार इस साल 3 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है और 3 अगस्त के दिन यह तिथि पड़ रही है। 

रक्षाबंधन मुहूर्त 2020:

रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 09:28 से 21:14
अपराह्न मुहूर्त- 13:46 से 16:26
प्रदोष काल मुहूर्त- 19:06 से 21:14
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 21:28 (2 अगस्त)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 21:27 (3 अगस्त)
इस विधि से भाई की कलाई में बांधें राखी

रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहनें। इसके बाद घर को साफ करें और चावल के आटे का चौक पूरकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना करें। चावल, कच्चे सूत का कपड़ा, सरसों, रोली को एकसाथ मिलाएं। फिर पूजा की थाली तैयार कर दीप जलाएं। थाली में मिठाई रखें। इसके बाद भाई को पीढ़े पर बिठाएं। अगर पीढ़ा आम की लकड़ी का बना हो तो सर्वश्रेष्ठ है। 

जानिए कैसे सजाएं राखी की थाली-

राखी की थाली में रेशमी वस्त्र, केसर, सरसों, चावल, चंदन और कलावा रखकर भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद राखी भगवान शिव की प्रतिमा को अर्पित करें। अब भगवान शिव को अर्पित किया गया धागा या राखी भाइयों की कलाई में बांधे।


रक्षा सूत्र बांधते वक्त भाई को पूर्व दिशा की ओर बिठाएं। वहीं भाई को तिलक लगाते समय बहन का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद भाई के माथ पर टीका लगाकर दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांधें। राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें फिर उसको मिठाई खिलाएं। अगर बहन बड़ी हो तो छोटे भाई को आशीर्वाद दें और छोटी हो तो बड़े भाई को प्रणाम करें।

रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई। रक्षाबंधन के दिन ब्राहमणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है। इस दिन विद्या आरंभ करना भी शुभ माना जाता है।

3 October 2016

नवरात्रि : कन्या को दें 9 दिन के 9 उपहार, शास्त्रों के अनुसार

नवरात्रि यानी सौंदर्य के मुखरित होने का पर्व। नवरात्रि यानी उमंग से खिल-खिल जाने का पर्व। कहते हैं, नौ दिनों तक दैवीय शक्ति मनुष्य लोक के भ्रमण के लिए आती है। इन दिनों की गई उपासना-आराधना से देवी भक्तों पर प्रसन्न होती है। लेकिन पुराणों में वर्णित है कि मात्र श्लोक-मंत्र-उपवास और हवन से देवी को प्रसन्न नहीं किया जा सकता। 


इन दिनों 2 से लेकर 5 वर्ष तक की नन्ही कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक इन नन्ही कन्याओं को सुंदर उपहार देकर इनका दिल जीता जा सकता है। इनके माध्यम से नवदुर्गा को भी प्रसन्न किया जा सकता है। पुराणों की दृष्टि से नौ दिनों तक कन्याओं को एक विशेष प्रकार की भेंट देना शुभ होता है। 
1.  प्रथम दिन इन्हें फूल की भेंट देना शुभ होता है। साथ में कोई एक श्रृंगार सामग्री अवश्य दें। अगर आप मां सरस्वती को प्रसन्न करना चाहते है तो श्वेत फूल अर्पित करें। 

अगर आपके दिल में कोई भौतिक कामना है तो लाल पुष्प देकर इन्हें खुश करें। (उदाहरण के लिए : गुलाब, चंपा, मोगरा, गेंदा, गुड़हल) 
2.  दूसरे दिन फल देकर इनका श्रद्धा के साथ पूजन करें। इसके बाद कन्या को फल भेंट करें। यह फल भी सांसारिक कामना के लिए लाल अथवा पीला और वैराग्य की प्राप्ति के लिए केला या श्रीफल हो सकता है। 

यह भेंट कन्या को कुमकुम का तिलक लगाने के बाद दें और याद रखें कि देवी कन्याओं को मीठे फल ही दें, फल खट्टे ना हो। 

3.  तीसरे दिन मिठाई का महत्व होता है। इस दिन अगर कन्या को हाथ की बनी खीर, हलवा या केशरिया चावल बना कर खिलाए जाएं तो देवी प्रसन्न होती है। 

4.  चौथे दिन इन्हें वस्त्र देने का महत्व है लेकिन सामर्थ्य अनुसार रूमाल या रंगबिरंगे रीबन भी दिए जा सकते हैं।

 5.  पांचवेंं दिन देवी से सौभाग्य और संतान प्राप्ति की मनोकामना की जाती है। अत: कन्याओं को पांच प्रकार की श्रृंगार सामग्री देना अत्यंत शुभ होता है।  इनमें बिंदिया, चूड़ी, मेहंदी, बालों के लिए क्लिप्स, सुगंधित साबुन, काजल, नेलपॉलिश, टैल्कम पावडर इत्यादि हो सकते हैं।

6.  छठे दिन बच्चियों को खेल-सामग्री देना चाहिए। आजकल बाजार में खेल सामग्री की अनेक वैरायटी उपलब्ध है। पहले यह रिवाज पांचे, रस्सी और छोटे-मोटे खिलौनों तक सीमित था। अब तो ढेर सारे विकल्प मौजूद है। 


7. सातवां दिन मां सरस्वती के आह्वान का होता है। अत: इस दिन कन्याओं को शिक्षण सामग्री दी जानी चाहिए। आजकल स्टेशनरी बाजार में विभिन्न प्रकार के पेन, स्केच पेन, पेंसिल, कॉपी, ड्रॉईंग बुक्स, कंपास, वाटर बॉटल, कलर बॉक्स, लंच बॉक्स उपलब्ध है। 

8.  आठवां दिन नवरात्रि का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन अगर कन्या का अपने हाथों से श्रृंगार किया जाए तो देवी विशेष आशीर्वाद देती है। इस दिन कन्या के दूध से पैर पूजने चाहिए। पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। 

इस दिन कन्या को भोजन कराना चाहिए और यथासामर्थ्य कोई भी भेंट देनी चाहिए। हर दिन कन्या-पूजन में दक्षिणा अवश्य दें। 
9. नौवें दिन खीर, ग्वारफली और दूध में गूंथी पूरियां कन्या को खिलानी चाहिए। उसके पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा संपूर्ण होती है। 

अगर आपने घर पर हवन का अयोजन किया है तो उसके नन्हे हाथों से उसमें समिधा अवश्य डलवाएं। उसे इलायची और पान का सेवन कराएं। 



#JaiMataDi #JaiDurgeMata

Happy Navratre - Jai Mata Di

तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशिर्वाद बनकर
मुँह मांगी मुराद बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर
अमृत रस का प्याला बनकर
पारिजात की माला बनकर
भूखों का निवाला बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर
कालरात्रि, महागौरी बनकर
माता सिद्धिदात्री बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां
स्वयं ही चली आएंगी
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ

सभी पर माँ की कृपा खूब बरसे.

#JaiMataDi
#JaiDurgeMata


17 August 2016

Meaning & Significance Of Raksha Bandhan | Stonhenge E Commerce

The Meaning of Raksha Bandhan

Relationships are the essence of any festivity and it holds true for any Indian festival. Each occasion brings the family together which calls for a celebration. Raksha Bandhan is a celebration of one such relation - that of a brother and a sister. This relationship is no where so celebrated as in India. Raksha Bandhan is a festival which celebrates the bond of affection between brothers and sisters. It is a day when siblings pray for each others' well being and wish for each others' happiness and goodwill.



The name 'Raksha Bandhan' suggests 'a bond of protection'. On this auspicious day, brothers make a promise to their sisters to protect them from all harms and troubles and the sisters pray to God to protect their brother from all evil. The festival falls on the Shravan Purnima which comes generally in the month of August. Sisters tie the silk thread called Rakhi on their brother's wrist and pray for their well being and brothers promise to take care of their sisters.

The Significance

Raksha Bandhan is now considered as a day to celebrate the sacred relation of a brother and a sister. Yet there have been examples in history where in rakhi has just been a raksha or protection. It could be tied by wife, a daughter or mother. The Rishis tied rakhi to the people who came seeking their blessings. The sages tied the sacred thread to themselves to safe guard them from the evil. It is by all means the 'Papa Todak, Punya Pradayak Parva' or the day that bestows boons and end all sins as it is mentioned in the scriptures.



Previously, Rakhi festival encompasses the warmth shared between the siblings but now it goes way beyond it. Some people tie Rakhi to neighbours and close friends signifying a peaceful co-existence of every individual. Rakhi Utsav was first popularized by Rabindranath Tagore to promote the feeling of unity and a commitment to all members of society to protect each other and encourage a harmonious Social life.

In today's scenario, the day has a different perspective. The occasion involves a pledge of life-time practice of moral, cultural and spiritual values. The values and the sentiments attached to the rituals of this festival are worth inculcating by the whole human race, the sentiments of harmony and peaceful coexistence. The festival of Raksha Bandhan assumes all forms of Raksha or protection, of righteousness and destroyer of all sin. The ritual of Rakhi tying has become so important that come what may, brothers and sisters try to visit each other place on this particular day tin order to bring back the oneness of the family, binding the family together in an emotional bond of love.

Importance Of Raksha Bandhan

Around mid-August, Hindus all over the world celebrate Raksha bandhan. "Raksha" means protection, and "bandhan" means bound or binding.

In North India, the occasion is popularly called Rakhi, Raksha Bandhan or Rakshaa Bandhan- the tying of an amulet.

In ancient times a woman tied a 'rakshaa' on her husband's wrist to protect him from evil. Gradually this changed; she tied a 'rakshaa' on her brother's right wrist, to protect him from evil influence and those factors which may taint his character, and to strengthen the bond of sibling love between them. On the occasion of Rakshaa Bandhan she visits her brother's home and performs his 'pujan' by applying kumkum and rice grains on his forehead. In return the brother gives her a gift and vows to protect her too. The 'rakhadi' for rakshaa bandhan itself ranges from a coloured cotton string to exquisitely decorated balls of various sizes and materials such as fluffy cotton, 'zari' paper, tinsel, beads and so on.



On Rakshaa Bandhan a second imortance relates to 'Baleva' and our devotion to the Lord. Just as Bali Raja offered devotion to Lord Narayan by sacrificing his kingdom and himself, devotees should endeavor to emulate him. That is the true spirit of Baleva.

Rakshaa bandhan day is important for the priests too, as they tie rakhis on their patrons wrist and in return receive offerings from them. In some parts of the country it is customary to draw figures on the walls of their home and worship them with offerings of vermilion and kheer. The imprints of palms are also put on either side of the entrance and rakhis are stuck on them as part of rakshaa bandhan rituals. Some parts of India also reserve Rakshaa Bandhan day importance for the sacred thread changing ceremony when the young brahmin boys discard the old one and don a new one ritualistically. However, on rakshaa bandhan it is the emotions which are important. The rakshaa bandhan ceremony performed is the symbolic everlasting bond between brothers and sisters that reinforces ties between them even across continents, and it is the one which has the most importance on this auspicious day.


27 March 2015

आज महाष्टमी पर बन रहा है शुभ योग, ये कर सकते हैं उपाय



आज (27 मार्च, शुक्रवार) चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस तिथि पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप का पूजन किया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषी पं. विनय भट्ट के अनुसार आज शुक्रवार को दिन भर आद्रा नक्षत्र होने से पद्म नामक शुभ योग बन रहा है। ये योग सभी प्रकार की खरीदी के लिए शुभ रहेगा।

शक्ति के साथ करें शिव का पूजन

पं. भट्ट के अनुसार अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं तथा आद्रा नक्षत्र के स्वामी रुद्र हैं। वहीं, नवरात्रि तथा शुक्रवार माता भगवती के पूजन के लिए विशेष माने गए हैं। इस प्रकार आज के दिन भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन एक साथ करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

अष्टमी तिथि को जया भी कहते हैं। इस दिन शिव-पार्वती का पूजन एक साथ करने से कोर्ट-कचहरी संबंधी मामलों में विजय मिलने की संभावना अधिक रहेगी। साथ ही, ये योग मशीनरी व इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदी के लिए भी शुभ रहेगा।

ये कर सकते हैं उपाय

1. अपराजिता पौधे की जड़ साथ रखने से सोचे हुए काम पूरे होने के योग बनने लगेंगे।
2. भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाएं तथा उनमें से एक बिल्वपत्र अपनी जेब में रख लें। ऐसा करने से धन संबंधी मामलों में लाभ मिल सकता है।
3. आंवले की जड़ को एक साफ कपड़े में लपेट कर अपने सीधे हाथ की कलाई पर बांधें।
4. लाल चंदन और गोरोचन से माता को तिलक लगाएं तथा बाद में स्वयं भी इसी का तिलक लगाएं।
देवी महागौरी की पूजन विधि जानने के लिए अगली स्लाइड पर क्लिक करें-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


21 March 2015

Know More on Navratri 2015 Dates and its Celebrations - Jai Mata Di

Navratra will be of 8 days, 6 days will have auspicious muhurt for

आमतौर पर नवरात्र के दिनों का घट जाना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन इस बार शुभ योगों का संयोग बनेगा

इस बार चैत्र नवरात्र नौ की जगह आठ दिन का होगा। इसका का शुभारंभ 21 मार्च से हो रहा है। आमतौर पर नवरात्र के दिनों का घट जाना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन इस बार चैत्र नवरात्र के आठ दिन में छह दिन शुभ संयोग वाले रहेंगे।

पंडितों का कहना है कि शनिवार से नवरात्र शुरू होना श्रेष्ठ समृद्धि का कारक होगा। साथ ही ग्रहचाल की दृष्टि से देव गुरू बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में रहेंगे। इस बार नवरात्र स्थापना के दिन 21 मार्च को दिन-रात बराबर होंगे। सूर्योदय सुबह छह बजे होगा और सूर्यास्त शाम छह बजे होगा। यानी दिनरात की अवधि 12-12 घंटे की होगी। ऎसी स्थिति कई वर्षो बाद होगी।

पंडित अजय शर्मा के मुताबिक, चैत्र नवरात्र 21 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च को समाप्त होगा। नवरात्र की अवधि में कई ऎसे शुभ योगों का संयोग बनेगा, जिनमें केवल शुभ कार्य ही नहीं, बल्कि भूमि, भवन, वाहन व गहने की खरीद-फरोख्त भी समृद्धिदायक रहेगी।

पं. शर्मा के अनुसार, सबसे अधिक शुभ योग नवरात्र के पहले दिन रहेगा। इस दिन गुड़ी पड़वा और विक्रम नवसंवत्सर का शुभारंभ भी होगा। शुक्ल पक्ष प्रारंभ होने पर चंद्रमा इस दिन मीन राशि में रहेगा, जो शुभ फलदायक रहेगा। 23 मार्च को गणगौर तीज विनायकी चौथ एक साथ होने पर नए अनुबंध, गृह प्रवेश आदि कार्य उत्तम रहेंगे। 25 मार्च को पंचमी छठ एक साथ होगी। इस दिन सूर्योदय से रात 12.05 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। दुर्गा महाअष्टमी 27 मार्च को रहेगी।

इस बार शनिवार से नवरात्र शुरू होना और शनिवार को ही पूर्ण होना व्यापारियों के लिए विशेष उन्नतिदायक रहेगा। यह आम लोगों के लिए भी खुशहाली देने वाला होगा। नवरात्र में 28 मार्च को रामनवमी धूमधाम से मनाई जाएगी। अगले दिन यानी 29 मार्च को रविपुष्य का विशेष संयोग रहा है। रविपुष्य योग संपूर्ण दिन-रात रहेगा। इसके साथ रवि योग सर्वार्थसिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है।

ज्योतिषाचार्य पंडित सुखनंदन शास्त्री के अनुसार, इस बार नवरात्र स्थापना के दिन 21 मार्च को दिन-रात बराबर होंगे। सूर्योदय सुबह 6 होगा और सूर्यास्त शाम 6 बजे ही होगा। यानी दिन रात की अवधि 12-12 घंटे की होगी। ऎसी स्थिति कई वर्षों बाद होगी।

देवी पुराण में घटस्थापना के लिए प्रात: काल ही श्रेष्ठ बताया गया है। इसलिए सुबह द्विस्वभाव लग्न में घट स्थापना करनी चाहिए। 21 मार्च को सूर्योदय प्रात 6 बजे होगा और द्विस्वभाव मीन लग्न प्रात: 7.04 बजे तक रहेगा। इसलिए 8.40 बजे से 9 बजे तक घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा।

नवरात्र के आठ में से छह दिन रहने वाले सुयोग में कोई भी शुभकार्य शुरू करना और वाहन, स्वर्ण आभूषण, प्रॉपर्टी का लेन-देन करना श्रेष्ठ रहेगा। इस समय के दौरान की गई खरीदारी घर में समृद्धि लाने वाली होगी।

जानिए किस दिन है कौन सा संयोग :

22 मार्च : सर्वार्थसिद्धियोग
23 मार्च : रवियोग

24 मार्च : सर्वार्थसिद्धियोग,
25 मार्च : सर्वार्थसिद्धियोग, कुमार योग, व राजयोग

27 मार्च : रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग
28 मार्च : रवियोग

29 मार्च : रविपुष्य योग, रवि योग व सर्वार्थसिद्धि योग

5 March 2015

Happy Holi Wishes

Hello Friends. If you’re an Indian. Then, you would know about this Festival of Color or Festival of LoveHOLI 2015. Holi is an Hindu religious festival which has become popular with non-Hindus. It is celebrated every year. In 2015, Holi is celebrated on March 6th. Holi is celebrated all over the parts of India. Lots of people would celebrate this festival in different ways. Mostly, People will be celebrating with their friends, etc. You would get the best collection of happy holi quotes here in this article.
People used to play, chase and color each other with the colored dry powder or colored water. It would be very interesting to play with lots of fun and excitement.  Now a days, Lots people celebrated Holi by sending Happy Holi Wishes, Images, SMS, Quotes, Messages, Images, Wallpapers through social media.
* Hi Friend, I Wish You Good Health,
More Achievements And Prosperity
And May Allah Bless You And Your Family
With Love And Happiness.
Happy Holi!
* A Blessed Holi To You And Your Family.
Through This Message I Wish You Success,
Health And Happiness.
May Allah Shower Your Path With All His Blessings.
* Celebrating the colors
of our beautiful relationship,
I wish you and your family
all the bright hues of life.
Have a colourful holi!
* Life is full of colors,
May be this HOLI festival,
You even had more colors in your life,
And you enjoyed them at their brightest shade.
I wish you that even after the HOLI,Those colors be there in your life and
always spawning around you creating beautiful world.
* Rango Ke Tyohar Me Sabhi Rango Ki Ho Bharmar,
Dher Saari Khushiyo Se Bhara Ho Aapka Sansar,
Yahi Dua hai Bhagwan Se Hamari Har bar,
Holi Mubarak!
* Mausam ki bahar acchi ho!
phoolon ki kaliyaan kacchy ho!
Hamhari yeh dosti sacchi ho!
Bhagvan bus ek dua hei ki,
mere dost ka har tyohar accha ho!
aur har tyoharoki rango ki bahar ho..HAPPY HOLI!
* Dipped in hues of love and trust has come the festival of Holi.
* Let the colors of Holi spread the message of peace and happiness.
* Holi is a special time of year to remember those who are close to our hearts with splashing colors!
* Holi is the day to express love with colors. It is a time to show affection. All the colors that are on you are of love!
* Best wishes to you for a Holi filled with sweet moments and memories to cherish for long.
* Holi, the festival of colors, is another seasonal festival associated with Hinduism. At this time, everybody splashes colored water or powder all over each other. It is wonderful because it reflects exactly what is occurring in nature at that time – when all the beautiful flowers of different colors are blossoming. By celebrating this event we feel a greater oneness with nature. This splashing of colors was also a famous ‘lila’ in Shri Krishna’s life.
* The dominant idea behind Holi festival is that we should live more in harmony with nature instead of trying to destroy her and make her our slave.
* Holi is a time to reach out with the colors of joy. It is the time to love and forgive. It is the time expresses the happiness of being loved and to be loved through colors.
* Holi is the apt time to break the ice, renew relationships and link yourself with those that you wanted to with a bit of color.
* Holi is the day to express love with colors. It is a time to show affection. All the colors that are on you are of love!
* Holi is not only about colors and sweets. It reminds of the divine and eternal love of Krishna and Radha. It also reminds one of Narashima, Prahlada and Hiranyakashyapa and thus the fact that ‘Truth and Humanity are invincible forces in the Universe’.
* From the lanes of Mathura and Vridavana, the colors of Holi have spread all over the country. These colors also carry the message of love, brotherhood, and truth. So whenever you splash Holi colors on somebody, you give him a promise of being truthful towards him always, maintain brotherhood with him lifelong and shower him with all the possible love throughout your life.